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Showing posts from August, 2017

देश का दुर्भाग्य है, जनता 70 सालों से योगी जैसे नेताओं को पाल और बर्दाश्त कर रही है-अभिसार शर्मा

शर्म तुमको मगर आती नहीं। चलिए शर्म तो बहुत दूर की बात है, बीजेपी के तेवर में बला की दबंगई है। कुछ भी कर लो, कुछ भी कह लो। कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता। ये भाव हर तरफ दिखाई दे रहा है। और दिक्कत ये की जनता में इस बात को लेकर कोई आक्रोश नहीं। आग़ाज़ करते हैं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान से। गौर कीजिये क्या कहा था योगीजी ने, “ मुझे लगता है के ऐसा न हो के लोग , जैसे ही उनके बच्चे 2 साल के हो जाएँ , सरकार के भरोसे छोड़ दें.” उनके इस कथन के हकीकत में तब्दील होने की गुंजाइश उतनी ही है, जितना समूची भारतीय सियासत के संस्कारी और शरीफ हो जाने में है। यानी के जो हो नहीं सकता , उसकी बात भी क्यों की जाए ? मगर इससे आपकी नीयत का पता चलता है। आपकी संवेदनाओं का पता चलता है। बच्चों के प्रति आपकी भावनाओं का पता चलता है। वह 290 लोग जिनके बच्चे मारे गए हैं न , उन्हें भी पता है के उनके बच्चे वापस नहीं आएंगे। ये चमत्कार नहीं होगा। मगर इन ग़मग़ीन लम्हों में, उन्हें सहानुभूति , मरहम की ज़रुरत है। कोई तो हो , जो उनके कंधे पर हाथ रखे और कहे , सब ठीक हो जाएगा। और आप क्या कहते हैं योगीज...

स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों से वीडियो रिकॉर्डिंग मांगने पर फंसी योगी सरकार

लखनऊ। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मदरसों के लिए फरमान सरकार के गले की हड्डी बन सकता है। इस फरमान में कहा गया था कि सभी मदरसे स्वतंत्रता दिवस पर आवश्यक रूप से ध्वजारोहण, राष्ट्रगान तथा अन्य कार्यक्रमों का आवश्यक रूप से आयोजन करें और उसकी वीडियोग्राफ़ी कराएं। योगी सरकार के इस फरमान को भेदभावपूर्ण बताते हुए नवाब महबूब नामक एक व्यक्ति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। इस याचिका में योगी सरकार के फरमान को भेदभावपूर्ण बताते हुए सिर्फ मदरसों की वीडियो ग्राफ़ी मांगने पर सवाल उठाया गया है। इतना ही नहीं याचिका में सरकार के फरमान को मदरसों के अनुच्छेद 14 व 30 में मिले मूलभूत अधिकारों का हनन बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि कहा गया है कि सिर्फ मदरसों से ही ध्वजारोहण व राष्ट्रगान की वीडियो रिकार्डिंग और फोटो मांगना भेदभाव दर्शाता है, क्योंकि दूसरे स्कूलों के लिए इसे अनिवार्य नहीं किया गया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार ने 3 अगस्त को एक आदेश जारी कर यूपी के सभी मदरसों में इस बार 15 अगस्त पर ध्वजारोहण व राष्ट्रगान कर...

ब्लात्कारी बाबा राम रहीम के परिवार के बारे में जानिए

एक साध्वी के यौन शोषण के आरोपी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के मामले पर पूरे हरियाणा में अशांति की आशंका है।  25 अगस्त को सीबीआई की विशेष कोर्ट इस मामले पर अपना फैसला सुनाएगी और इस दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पूरे राज्य में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती कर दी गई है। जानिए कौन हैं राम रहीम जिनके समर्थकों के हंगामे से निपटने के लिए राज्य सरकार सेना तक को बुलाने पर विचार कर रही है। गुरमीत राम रहीम सिंह अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। इनका जन्म 15 अगस्त, 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के गुरुसर मोदियामें जट सिख परिवार में हुआ था। गुरमीत राम रहीम की माता का नाम नसीब कौर इंसान है। इन्हें महज सात साल की उम्र में ही 31 मार्च, 1974 को तत्कालीन डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह ने नाम दिया था। 23 सितंबर, 1990 को शाह सतनाम सिंह ने देशभर सेअनुयायियों का सत्संग बुलाया और गुरमीत राम रहीम सिंह को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। डेरा प्रमुख की दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी चरणप्रीत और छोटी का नाम अमरप्रीत है। उन्होंने इन दो बेटियों के अलावा एक बेटी ...

पढ़ना है तो एक साँस में पढ़ें वरना नहीं -

पढ़ना है तो एक साँस में पढ़ें वरना नहीं - निर्भया के लिए रायसीना हिल्स को जंतर मंतर में बदल देने वाली हिन्दुस्तान की बची हुई बेटियाँ नोट करें कि दो साध्वी ने कैसे ये लड़ाई लड़ी होगी, जिसकी जेल यात्रा को प्रधानमंत्री के काफ़िले की शान बख़्शी गई। दोनों साध्वी किस हिम्मत से लड़ीं ? क्या आप जानती हैं कि जब वो अंबाला स्थित सीबीआई कोर्ट में गवाही देने जाती थीं तो कितनी भीड़ घेर लेती थी? हालत यह हो जाती थी कि अंबाला पुलिस लाइन के भीतर एस पी के आफिस में अस्थायी अदालत लगती थी। चारों तरफ भीड़ का आतंक होता था। जिसके साथ सरकार, उसकी दास पुलिस और नया भारत बनाने वाले नेताओं का समूह होता था, उनके बीच ये दो औरतें कैसे अपना सफ़र पूरा करती होंगी ? क्या उनके साथ सुरक्षा का काफिला आपने देखा? वो एक गनमैन के साथ चुपचाप जाती थी और पंद्रह साल तक यहीं करती रहीं। बाद में सीबीआई की कोर्ट पंचकुला चली गई। दो में से एक सिरसा की रहने वाली हैं, वो ढाई सौ किमी का सफ़र तय करते पंचकुला जाती थीं और सिरसा के डेरे से निकल कर गुरमीत सिंह सिरसा ज़िला कोर्ट आकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये गवाही देता था। तब भी आधी से अध...

Triple Talaq Par Supreem Court Ke Faisle Ka Hum Welcome Krte Hain

बधाई हो सुप्रीम कोर्ट।तीन तलाक़ के मामले पर तलाक़-ए-विद्दत के खिलाफ आपके फैसले से बेहद खुशी हुई। जो लोग डरे हुए थे की शायद आपका फैसला पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप करे लेकिन आप ने तलाके विद्दत रोक कर समाज की एक गंदगी साफ किया और पर्सनल लॉ पे आंच भी नहीं आने दी। सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले की हर मुसलमान को सराहना करनी चाहिए।  कोर्ट का ये फैसला कुरआन और हदीस की खिलाफवर्जी कतई नहीं है।  हालाँकि मुसलमानों में तीन तलाक़ का प्रतिशत 1 से भी नीचे था।इसलिए मुस्लमान ये कह सकते हैं कि इससे ज़्यादा प्रतिशत  दहेज़ हत्या, बलात्कार, वेश्यावृति आदि का है, लेकिन आप शायद ये न संमझ सके हों की ट्रिपल तलाक़ देखने में जितना नुकसानदेह था, अंदरखाने में उससे सौ गुना  बुरा था। दरअसल तलाके विद्दत की परंपरा से मुस्लिम महिलाओं में इस क़दर असुरक्षा व्याप्त थी की वह मर्द की नाजाएज़ हरकतों का भी विरोध नहीं करती थी। इस डर से की कहीं  उसका शौहर उसे तीन बार तलाक़ कह कर बेसहारा न कर दे। इस भावना से औरत दुसरे दर्जे की नागरिक बन गयी थी। आप् तीन तलाके न हो पाने से मर्द औरत को दबा नहीं पाएगा। इस्लाम दोनो...

7 दिन में नशा कैसे छोड़े

नशा छोड़ने के लिए चाहे वह कोई भी नशा हो शराब, गुटखा, तम्बाकू या कोई भी। अदरक के छोटे छोटे टुकड़े काट ले अब इन पर सेंधा नमक बुरक ले, अब इन टुकड़ो पर निम्बू निचोड़ ले और इन टुकड़ो को धुप में सूखने के लिए रख दे। जब सूख जाए तो बस हो गयी दवा तैयार। अब जब भी किसी नशे की लत लगे तो ये टुकड़ा निकाला और चूसते रहो। ये अदरक मुह में घुलती नहीं इसको आप सुबह से शाम तक मुह में रख सकते हैं। अब आप सोचोगे के ऐसा अदरक में क्या हैं तो सुनिए जब किसी आदमी को नशे की लत लगती हैं तो उसकी बॉडी सल्फर की डिमांड करती हैं, और अगर हम सल्फर की कमी शरीर में पूरी कर दे तो फिर बॉडी को ये नशे की उठने वाली तलब नहीं लगेगी। ये प्रयोग आप 3 से 4 दिन करोगे तो ही आप नशा मुक्त हो जाओगे। अगर कोई बहुत बड़ा नशेबाज हैं या रेगुलर ड्रिंक करते हैं तो उनको ये 7 से 8 दिन लग सकते हैं।

बिहार में बाढ़ सरकार और हम!

इस बार बिहार में आई बाढ़ इस शताब्दी में आई सबसे भयंकर बाढ़ है, बिहार में किसी भी नदी के 10 किलोमीटर के रेडियस में जाइये आपको हर तरफ पानी ही पानी मिलेगा। जो सहायक नदियाँ आम दिनों में किसी नाले से ज़्यादा नही होती, आज के वक़्त में सैंकड़ो गाँव को लील चुकी है। लेकिन सरकार है कि जागने का नाम नही ले रही है, बाढ़ पीड़ितों की सहायता के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही हो रही है। मुज़फ़्फ़रपुर के पूसा मुख्यालय से कुछ गिनती की नाव बोचहाँ प्रखंड में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए भेजी गई हैं, लेकिन सहायता के नाम पर सरकार बाढ़ में फंसे लोगों को बचा नही रही है, सिर्फ उन तक खाना, दावा और बहुत ज़रूरी सामान पहुँचा रही है, वो भी सिर्फ 5 से 8 पर्तिशत बाढ़ पीड़ितो तक ही, बाकी के बाढ़ पीड़ित नाजाने कितने दिनों से भूखे और बीमार हैं। सरकार ने इस साल बाढ़ पीड़ितों को बचाने का नायाब तरीका ढूंढ निकाला है, सरकार ने कुछ हेल्पलाइन नंबर जारी कर कहा है, अगर आप बाढ़ में फसे हुए हैं तो हमें फोन कर बताइये हम आपको बचाने आ जायेंगे। मुझे ये ख़बर किसी भद्दे मज़ाक से ज़्यादा कुछ नही लगी। सरकार में बैठे जिस अधिकारी ने ये सर्कुलर जारी किया है...

ADR की रिपोर्ट में खुलासा: बिना PAN और पते के BJP ने लिया 705 करोड़ का चंदा

राजनीतिक दल और उन्हें मददगार कॉरपोरेट घराने 20 हजार रुपये से ज्यादा की चंदा राशि पर पैन अनिवार्य करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवहेलना कर रहे हैं। चुनाव में पारदर्शिता की लड़ाई लड़ रहे एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एडीआर) की बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।  रिपोर्ट के अनुसार 2012-13 से 2015-16 की चार साल की अवधि में भाजपा और कांग्रेस सहित पांच राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट स्रोतों से 956.77 करोड़  रुपये का चंदा मिला, लेकिन इसमें से 729 करोड़ रुपये बिना पैन और पते के थे। इनमें से भी 159.59 करोड़ रुपये के चंदे में न तो पैन था और न ही पता। इस तरह के चंदे का 99 फीसदी भाजपा के खाते में गया है। पढ़ें- राजनीतिक दलों को 2000 से अधिक के गुप्त चंदे पर रोक लगे: चुनाव आयोग     इस अवधि में राजनीतिक दलों में सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को मिला। पार्टी को 2987 दानकर्ताओं से 705.81 करोड़, कांग्रेस को 167 दानकर्ताओं से 198.16 करोड़ रुपये का चंदा मिला। पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा 2014-15 में मिला, जिस साल लोकसभा के चुनाव हुए थे। चार साल के कुल कॉरपोरेट चंद...

लखनापार बांध धंसा व मदरहवा तटबंध टूटा, तबाही बढ़ी, गांव छोड़ कर भाग रहे लोग, रेल सेवा भी ठप

सिद्धार्थनगर। शुक्रवार को सदर तहसील में एक तटबंध धंस जाने व बांसी  इलाके में  तटबंध टूट  जाने  से सैलाब ने करीब सौ और गांवों में तबाही मचा दी है।  दोनों तटबंध के किनारे रहने वाले गांवों में भगदड़ मच गई है। लोग गांव छोड़ कर भाग रहे हैं। ही तरफ चीख पुकार मची हुई है। कोई किसी को बवाने वाला नहीं है। उधर गोखपुर के निकट रेल पटरी पर पानी आने जाने से गोरखपुर–गोंडा वाया बलरामपुर रेल सेवा भी ठप हो गई है। इस तरह जिले में अब तक चार तटबंध टूट चुके हैं। मदरहवा बांध सतवाढ़ी के पास टूटा जानकारी मिली है कि बांसी क्षे़त्र में ग्राम सतवाढ़ी के पास अशोगवा–मदरहवा बांध टूट गया। बांध टूटने की घटना शुक्रवार 11 बजे के आस पास हुई। इससे पानी सतवाढ़ी गांव में घुसने लगा। चश्मदीदों के मुताबिक बांध टूटते ही गांव के लोग अपना सामान समेट की भागने लगे। इससे अशोगवा, असिधवा सतवाढ़ी आदिदर्जनों गांवों में पानी घस रहा है। नदी कर वेग ज्यादा होने से कम से कम पचास  गांव घिरने की आशंका व्यक्त की जा रही है। गांवों में चीख पुकार मची हुई  है। लोग मदद के लिए गुहार कर रहे हैं। मगर हालात ऐसे ...

सिद्धार्थ नगर: तबाही के लिए उफनतीं जमुआर नदी की बेताब लहरें, पर नींद में प्रशासन..!

सिद्धार्थ नगर (उत्तर प्रदेश): सिद्धार्थ नगर जिले में सैलाब ने अपने डैने खोल लिए हैं। नदियां निंरतर बढाव पर हैं। बाढ़ के लिए कुख्यात जिले की कूड़ा, घोंघी और बूढ़ी राप्तनी नदी खतरे के निशान को पार कर गई हैं। कई और नदियां निरंतर बढ़ाव पर हैं। कई तटबंधों की हालत खराब हैं। सिद्धार्थनगर- सोहांस मार्ग पर खतरा देखते हुए बंद कर दिया गया है। कई अन्य मार्गों पर पानी चल रहा है। वहीं, सिद्धार्थ नगर 24 घण्टों से हो रहा लगातार भारी बारिश एवं नेपाल के पहाड़ों पर जोड़दार बारिश से नेपाल ने शनिवार को पानी छोड़ने के कारण नदियां खतरे के निशान से ऊपर है, बांसी से नौगढ जाने वाली हाइवे राज्य मार्ग पूर्ण रूप से बाधित है, लेकिन प्रशासन पूरी तरह मौन है मिली जानकारी के अनुसार जिले की कूडा और घोंघी नदी खतरे के निशान से आधा मीटर ऊपर बह रही हैं। इसकी वजह से सदर तहसील के लगभग तीन दर्जन गांव पानी से घिर गये हैं। घोंघी के बाढ़ से बड़हरा, परसौना, सहिला, उदयपुर आदि गांव खतरे की जद में हैं। दूसरी तरफ कूडा और बूढ़ी राप्ती की बाढ से उस्का बाजार इलाके के सिकहुला, हथिवड़ताल, ताल नटवा, ताल भिरौना, संगलदीप, ताल ...

वे 7 फिल्में, जो सिनेमाघर पर चिपकीं, तो उतरने का नाम नहीं लिया

बात 1943 की है. बॉम्बे टॉकीज की फिल्म ‘किस्मत’ रिलीज हुई. फिल्म में अशोक कुमार लीड रोल में थे. ये फिल्म भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास की पहली ब्लॉकबस्टर थी. लेकिन यह आजादी से पहले की बात थी. आजादी के बाद की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर में 'बरसात' फिल्म का नाम आता है. उसके बाद मुगल-ए-आजम और शोले जैसी फिल्में भी हैं. लेकिन समय के साथ करवट लेटे बॉलीवुड ने कई रूप अख्तियार किए हैं. कयामत से कयामत के आते-आते अमिताभ बच्चन के रूप में नजर आया एंग्री यंगमैन हवा हो गया और जगह सलमान, आमिर जैसे चॉकलेटी हीरो ने ले ली. लेकिन दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे के साथ ही इस बात की घोषणा हो गई कि बॉलीवुड से गांव और देहात की फिल्मों का दौर गुजर चुका है और एनआरआइ फिल्मों ने दस्तक दी. लगभग एक दशक तक एनआरआई कल्चर फिल्मों में छाया रहा. 2010 के बाद बॉलीवुड ने फिर से करवट लेनी शुरू की और अब असल जिंदगी से जुड़ी फिल्में बनने लगी हैं. फिर वह चाहे दम लगा के हईशा हो या अलीगढ़ या फिर क्वीन. बेशक बॉलीवुड से गांव देहात खत्म हो गए हों लेकिन छोटे शहर लौट रहे हैं. आइए सिनेमाघरों पर लंबे समय तक चलने वाली फिल्मों पर एक न...

बाढ़ से हालात बिगड़े, डेढ़ सौ गाँवों पर खतरा, एनडीआरएफ की टीम पहुंची सिद्दार्थनगर

सिद्धार्थनगर। सैलाब से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। कल शोहरतगढ़ क्षेत्र में लखनापार-बैदौली बाँध के टूटने के बाद ज़िले में एनडीआरएफ की टीम बुला ली गयी है। टीम ने आज से मोर्चा संभाल लिया है। प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि नौगढ़ और शोहरातगढ तासील में सैलाब की बिगड़ती हालत देख डीएम सिद्धार्थनगर ने शासन से राहत और बचाव कार्य के लिए मदद मांगी, जिसके मद्देनजर ज़िले में एनडीआरएफ की टीम भेजने का फैसला लिया गया। टीम स्थानीय प्रशासन के निर्देश पर क्षेत्र में राहत बचाव का काम करेगी। टीम में कितने जवान हैं बताया गया गया है कि टीम के जवान बीती रात बनारस से यहाँ पहुँच चुके हैं। जिनके सदस्यों की तादाद 30 है। एनडीआरएफ के जवान बाढ़, आगलगी या अन्य किसी आपदा में रहत और बचाव के लिए सक्षम होते हैं। जिन्हें ऐसे मौकों के लिए ट्रेंड की जाता है। ये मुश्किल हालात का सामना करने से पीछे नहीं हटते हैं। याद रहे की गत 3 दिन से ज़िले के अलावा नेपाल के पहाड़ो पर भारी बारिश हो रही है। जिसके चलते नदियों में बेशुमार पानी आ रहा है। इससे ज़िले के सौ गाँव संकट में फंसे हैं। एक तटबंध टूट गया है। लगभग 20 हज़ार हेक्टेयर फस...

देश के राजनीतिक दल आरटीआई से क्यों डरते हैं?

एक भारतीय नागरिक के नाते यह संयुक्त खुला पत्र आप सबको संबोधित कर रहा हूं. क्या आपको इस देश के संसदीय लोकतंत्र पर भरोसा है? क्या आपको संसद में खुद आप लोगों के द्वारा बनाए गए कानून पर भरोसा है? क्या आप सबने विभिन्न संवैधानिक पद ग्रहण करते हुए देश में विधि का राज स्थापित करने की शपथ ली है? अगर हां, तो भला आप लोग सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 से खुद को ऊपर कैसे समझते हैं? केंद्रीय सूचना आयोग के तीन जून 2013 के आदेश की अनदेखी करने जैसी अवैधानिक हरकत करने की इजाजत आप सबको किसने दी? यह खुला पत्र केंद्रीय सूचना आयोग की ताजा नोटिस के आलोक में लिख रहा हूं. केंद्रीय सूचना आयोग ने चार सदस्यीय बेंच बनाई है. आपको 16 से 18 अगस्त 2017 तक सुनवाई के लिए बुलाया गया है. आप सभी छह पार्टियों को सूचना कानून के दायरे में लाने का मामला चार साल से लटका है. केंद्रीय सूचना आयोग ने तीन जून 2013 के आदेश में आप सभी छह पार्टियों को ‘लोक प्राधिकार’ का दर्जा दिया था. लेकिन आप सभी पार्टियों ने उस आदेश पर चुप्पी साध ली. उस आदेश का न तो पालन किया, न उसे अदालत में चुनौती दी और न ही सूचना कानून में कोई बदला...

अभिसार शर्मा का शानदार लेख जरूर पढ़े

क्या तुममे हिम्मत है अभिसार शर्मा ? तुम तो राष्ट्रवादी भी नहीं, मगर तुम्हारी बिरादरी के एक फर्जी राष्ट्रवादी ने कल प्राइम टाइम टीवी पर दहाड़ते हुए कहा ,और गौर कीजिये , “ हम वन्दे मातरम के चर्चा कर रहे हैं और आप बेवजह गोरखपुर में मारे ६० बच्चों की बात कर रहे हैं “ इस चैनल के एंकर ने तो साफ कर दिया के उसकी प्राथमिकता क्या है. वो अब भी विपक्ष को ही कटघरे में रखेगा. वो अब भी सीमा पर रोज़ मर रहे सैनिकों को नज़रंदाज़ करेगा, और उसके लिए भी उदारवादियों, JNU के विद्यार्थियों और वामपंथियों को कटघरे में रखेगा, वो अब भी किसानों की दुर्दशा पे आँखें मून्देगा, वो गौ रक्षकों के आतंक पे खामोश रहकर अपनी नपुंसकता का परिचय देगा. मगर तुम ? तुम,अभिसार शर्मा, है दम? है दम योगी सरकार से ये पूछना के आखिर 9 अगस्त को मुख्यमंत्री के बीआरडी अस्पताल जाने के बावजूद, ६० बच्चों की बलि चढ़ गयी? है दम पूछने की के गोरखपुर के जिला मजिस्ट्रेट के ऑन रिकॉर्ड क़ुबूलने के बावजूद के मौत ऑक्सीजन सप्लाई काटने की वजह से हुई थी, आखिर योगी सरकार क्यों कह रही है के ऐसा कुछ नहीं? झूठ क्यों? पर्देदारी क्यों? जब पुष्प गैस क...

इंसानियत अभी जिन्दा है

योगी आदित्यनाथ साहब आपको मदरसों की रिकॉर्डिंग करवा के मुसलमानों की देशभक्ति चेक करनी है ना  ? तो अपने ज़िले गोरखपुर के उसी मेडिकल कालेज  में जाकर डॉ. कफ़ील साहब से मिल लीजियेगा, आपको देशभक्ति और इंसानियत का ज़िंदा सुबूत मिल जायेगा डॉक्टर का कोई मज़हब नहीं होता लेकिन आज मुझे ये ख़बर शेयर करते हुए ये कहना पड रहा है कि एक तरफ़ उसी अस्पताल के बाकी डॉक्टर लापरवाही करते रहे वहीं डॉ. कफ़ील ने अपने एक डॉक्टर दोस्त की अस्पताल से उधार मॉंग के 3 ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतज़ाम किया अपना ATM देकर पैसे से ऑक्सीजन मँगवाया कफ़ील का मतलब होता है मददगार योगी जी जब गोरखपुर जाना तो इस मददगार से ज़रूर मिलना शायद वंदेमातरम, जन गण मन और देशभक्ति  इन सबका मतलब आपकी समझ में आ सके सलाम आपको डॉ. कफ़ील अहमद जय हिंद

जिसे कटवाना हो अपना केश वो पधारे हमारे उत्तरप्रदेश

सिद्धार्थनगर। देश के विभिन्न इलाकों की तरह सिद्धार्थनगर जिले में भी महिलाओं के बाल काट कर फरार हो जाने वाले चोटीकटवा का आंतक आ पहुंचा है। बीते 24 घंटों में जिले के इटवा क्षेत्र में तीन अलग अलग घटनाओं में एक बच्ची व एक युवती तथ एक छात्रा के बाल रहस्यमय तरीके से कटे पाये गये। इसके  बाद जिले में चोटीकटवा के आतंक का जादू सर चढ कर बोलने लगा है। देहात की औरतें  घर से बाहर निकलने में खौफ खाने लगी हैं। खबर के मुताबिक आज सुबह इटवा थाने के धोबहा गांव में एक 19 साल की छात्रा की चोटा कटी पायी गई। पीड़िता बीएससी कर छात्रा है। उसके मुताबिक आज यानी बुधवार सुबह जब वह सो कर उठी तो पता चला की उसके पीछे के बाल कोई काट ले गया है।  इस घटना से वह बहुत डरी हुई है। वह अपने बाल कटने के बारे में कुछ बता नहीं पा रही है। इस घटना से गांव में दहशत है। लोग चर्चा करते दिखाई पड़े की यह किसी भूत या चुड़ैल की करतूत है। वारिकपार में बच्ची की चोटी कटी दूसरी घटना मिश्रौलिया थाने के ग्राम वारिकपार में घटी। इस गांव के हजारी मौर्य की १२ साल की बेटी स्वाति मौर्य कल घर पर बैठी थी। उसकी मां किचन में अंदर ग...

आज़ादी के सिपाही। हिंदुस्तान के बेटे।

हज़रत मौलाना शाह मिन्नतउल्लाह रहमानी साहेब हिन्दुस्तान की जंग ए आज़ादी के उन अज़ीम सुरमाओं में से थे जिन्होने अपने ख़ानक़ाह को जंग ए आज़ादी का ख़ुफ़िया मरकज़ यानी हेडक्वाटर बनाया। 1912 में बिहार के मुंगेर ज़िला में पैदा हुए मिन्नतउल्लाह रहमानी साहेब के वालिद का नाम हज़रत मौलाना मुहम्मद अली मुंगेरी(र.अ.) था, जो बहुत ही बड़े बुज़ुर्गान ए दीन थे और उन्होने ही 1901 में ख़ानक़ाह रहमानीया मुंगेर की बुनियाद डाली थी। शुरुआती तालीम घर पर हासिल करने के बाद मिन्नतउल्लाह रहमानी साहेब आगे की तालीम के लिए दारुल उलुम देवबंद गए ये वो दौर था जब शेख़ उल हिन्द महमुद हसन (र.अ) के शागिर्द शेख़ उल इस्लाम हुसैन अहमद मदनी(र.अ) जंग ए आज़ादी को लीड कर रहे थे। दारुल उलुम देवबंद में तालीम के दौरान ही मिन्नतउल्लाह रहमानी साहेब तहरीक ए आज़ादी में हिस्सा लेने लगे और जल्द ही वो वहां मौजुद तमाम स्टुडेंट की क़यादत करने लगे। बात 1933 की है, सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement 1930-34) अपने उरुज पर था, जब मौलाना मिन्नतउल्लाह रहमानी साहेब तहरीक ए आज़ादी का कांरवां ले कर दिल्ली के चांदनी चौक एक एह...

अगर माँ ना होती तो हम ना होते

अगर माँ ना होती तो हम ना होते #आशा_सहनी जी की मौत की रूह कांपने वाली खबर अधिकतर ने आज नहीं पढ़ी होगी। क्योंकि उस खबर में मसाला नहीं था। खबर नहीं पढ़ने या पढ़कर इग्नोर करने की एक और वजह थी- उसमें हम सब आईने में अपनी तस्वीर देखने का साहस न उठा पाते। खैर,बात पहले आशा सहनी की।  80 साल की आशा सहनी मुंबई के पॉश इलाके में  10 वी मंजिल पर एक अपार्टमेंट में अकेले रहती थी। उसके पति की मौत चार साल पहले हो गयी। अकेले क्यों रहती थी? क्योंकि उसका अकेला बेटा अमेरिका में डॉलर कमाता था। बिजी था। उसके लिए आशा सहनी डेथ लाइन में खड़ी एक बोझ ही थी। उसके लाइफ फारमेट में आशा सहनी फिट नहीं बैठती थी। ऐसा कहने के पीछे मजबूत आधार है। बेटे ने अंतिम बार 23 अप्रैल 2016 को अपनी मां को फोन किया था। ह्वाटसअपर पर बात भी हुई थी। मां ने कहा-अब अकेले घर में नहीं रह पाती हूं। अमेरिका बुला लो। अगर वहीं नहीं ले जा सकते हो तो ओल्ड एज ही होम ही भेज दो अकेले नहीं रह पाती हूं। बेटे ने कहा-बहुत जल्द वह आ रहा है। कुल मिलकार डॉलर कमाते बेटे के लिए अपनी मां से बस इतना सा लगाव था कि उसके मरने के बाद अंधेरी का महंगा...

#ज़रुर_पढये मुसलमानो तुम्हारी पहचान क्या यही रह गयी है..??

#ज़रुर_पढये मुसलमानो तुम्हारी पहचान क्या यही रह गयी है..?? न जिस्म पर इस्लामी लिबास,न चेहरे पर सुन्नते रसूल,न सरो पर अमामा शरीफ, जेब में सब कुछ लेकिन टोपीनही,मिस्वाक नही,गुनाह कर करके, झूट बोल बोल के,नमाज़े क़ज़ा कर करके,नाजाइज़ लुक़मा खा खा के, चेहरे की वो नूरानियत भी जाती रही, जो नबी  के सदक़े में अल्लाह ने मुसलमानो को अता की थी.. अब सुने आगे. कभी गौर किया इस बात पर कि तुम रोज़ाना सफर करते हो अकेले में मौत आ जाए अटैक, एक्सीडेंट, और तुम घर से दूर इंतिक़ाल कर गए मुझे बताओ तुम्हे कैसे पहचानेंगे पोलिस डॉक्टर और लोग..?? क्यूंकि कोई निशानी तो थी नही अब कैसे पता लगाये की मरा हुवा इंसान मुस्लमान है या गैर मुस्लिम.?? बड़े अफ़सोस के साथ कहना पढता है कि फिर तुम्हारी शर्मगाह को देखा जायेगा अगर खतना किया हुआ है तो मुसलमान है, नही किया हुआ है तो गैर मुस्लिम.?? सोचो जिस मुसलमान की पहचान उसके चेहरे से उसके लिबास से, उसकी बातो से हुआ करती थीं, आज उसकी पहचान के लिए उसकी शर्मगाह देखी जा रही है.. क्या ये है तुम्हारी पहचान..?? क्या हो गया है ठोकरों में आ गए हो जबसे अल्लाह रसू...

सिद्धार्थनगर में जल स्तर बढ़ने से कई गांव बाढ़ की चपेट में सिद्धार्थनगर ।

 पड़ोसी देश नेपाल के पहाड़ी इलाकों में हो रही बारिश से सिद्धार्थनगर जिले में नदियों का जलस्तर बढ गया है जिससे कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गये हैं। आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया की घोघी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है। बूढ़ी राप्ती ककरेही और कूड़ा नदी आलमनगर में खतरे के निशान के करीब बह रही है। राप्ती और बाणगंगा नदियों का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। सूत्रों ने बताया की बर्डपुर ब्लाक का सेमरी गांव बाढ़ के पानी से चारों तरफ से गिर गया है। इस गांव की आबादी डेढ़ फुट पानी में डूबी हुई हैक। गांव का पंचायत भवन और एक पक्का मकान भी कल रात गिर गया था।

नाम बदल पर एक खूबसूरत पोस्ट

घर से गोरखपुर की दूरी लगभग 75 किमी है , पहला स्टेशन #नौगढ जिसका नाम बदलवाने के लिये लगभग तीस वर्षों से प्रयास हो रहा है क्योंकि हमारी पहचान लार्ड बुद्धा से होती है उनका जन्म राजपाठ इसी जिले से होकर गुजरता था और हम जिले के नाम सिद्धार्थनगर पर ही स्टेशन का नाम भी चाहते हैं , नाम नही बदला । आगे बढिये #ब्रिजमनगंज है जो कि अंग्रेजी नाम #ब्रिजमैन था जो कि नही बदला । आगे बढिये #फरेन्दा स्टेशन है ये भी अंग्रेज़ी नाम #फैरेंडा था नाम नही बदला । आगे बढिये #कैम्पियरगंज है जो कि अंग्रेज़ी नाम है नाम नही बदला ,आगे बढिये #पीपीगंज जो कि अंग्रेज़ी नाम #पेप्पे पर है नाम नही बदला । ये तो मात्र 75 किमी का आंकङा है और उन लोगों का नाम है जिनके अत्याचार किसी से छुपे नही । अब आइये देखते हैं नाम किसका बदला जाता है #अकबर_दा_ग्रेट का जिसने छोटी छोटी विरासतों को जोङकर एक विशाल देश का निर्माण किया , नाम उसका बदला जाता है जो वर्षों पूर्व एक उस जगह #मुगलसराय का गठन करता है जो मुसाफिरों के रुकने के लिये उत्तम प्रबंध होता था नाम उस #उर्दु का बदलकर #हिन्दी बाजार किया जाता है जिस उर्दु से अदब का पता चलता है इसी 75 क...

गाँव का जीवन और रहन सहन

भारत गाँवों का देश है । हमारे देश की साठ-सत्तर प्रतिशत जनसंख्या अब भी गाँवों में ही रहती है । गाँव का जीवन शहरी जीवन से अलग होता है । यहाँ की आबोहवा में जीना सचमुच आनंददायी होता है । गाँवों में भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं । यहाँ भारत की सदियों से चली आ रही परंपराएँ आज भी विद्‌यमान हैं । यहाँ के लोगों में अपनापन और सामाजिक घनिष्ठता पाई जाती है । यहाँ खुली धूप और हवा का आनंद उठाया जा सकता है । यहाँ हरियाली और शांति होती है । हमारे गाँव भारत की कृषि व्यवस्था के आधार हैं । यहाँ कृषकों का निवास होता है । गाँव के चारों ओर खेत फैले होते हैं । खेतों में अनाज एवं सब्जियों उगाई जाती हैं । गाँवों में तालाब और नहरें होती हैं । इनमें संग्रहित जल से किसान फसलों की सिंचाई करते है । गाँवों में खलिहान होते हैं । यहाँ पकी फसलों को तैयार किया जाता है । गाँवों में खेती क अलावा पशुपालन, मुर्गीपालन, मधुमक्खी पालन जैसे व्यवसाय किए जाते हैं । पशुपालन से किसानों को अतिरिक्त आमदनी होती है तथा कृषि कार्य में सहायता मिलती है । पशुओं का गोबर खाद का काम करता है । पशु दूध देते हैं तथा बैल, भैंसा आ...