शर्म तुमको मगर आती नहीं। चलिए शर्म तो बहुत दूर की बात है, बीजेपी के तेवर में बला की दबंगई है। कुछ भी कर लो, कुछ भी कह लो। कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता। ये भाव हर तरफ दिखाई दे रहा है। और दिक्कत ये की जनता में इस बात को लेकर कोई आक्रोश नहीं। आग़ाज़ करते हैं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान से। गौर कीजिये क्या कहा था योगीजी ने, “ मुझे लगता है के ऐसा न हो के लोग , जैसे ही उनके बच्चे 2 साल के हो जाएँ , सरकार के भरोसे छोड़ दें.” उनके इस कथन के हकीकत में तब्दील होने की गुंजाइश उतनी ही है, जितना समूची भारतीय सियासत के संस्कारी और शरीफ हो जाने में है। यानी के जो हो नहीं सकता , उसकी बात भी क्यों की जाए ? मगर इससे आपकी नीयत का पता चलता है। आपकी संवेदनाओं का पता चलता है। बच्चों के प्रति आपकी भावनाओं का पता चलता है। वह 290 लोग जिनके बच्चे मारे गए हैं न , उन्हें भी पता है के उनके बच्चे वापस नहीं आएंगे। ये चमत्कार नहीं होगा। मगर इन ग़मग़ीन लम्हों में, उन्हें सहानुभूति , मरहम की ज़रुरत है। कोई तो हो , जो उनके कंधे पर हाथ रखे और कहे , सब ठीक हो जाएगा। और आप क्या कहते हैं योगीज...