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नाम बदल पर एक खूबसूरत पोस्ट

घर से गोरखपुर की दूरी लगभग 75 किमी है , पहला स्टेशन #नौगढ जिसका नाम बदलवाने के लिये लगभग तीस वर्षों से प्रयास हो रहा है क्योंकि हमारी पहचान लार्ड बुद्धा से होती है उनका जन्म राजपाठ इसी जिले से होकर गुजरता था और हम जिले के नाम सिद्धार्थनगर पर ही स्टेशन का नाम भी चाहते हैं , नाम नही बदला । आगे बढिये #ब्रिजमनगंज है जो कि अंग्रेजी नाम #ब्रिजमैन था जो कि नही बदला । आगे बढिये #फरेन्दा स्टेशन है ये भी अंग्रेज़ी नाम #फैरेंडा था नाम नही बदला । आगे बढिये #कैम्पियरगंज है जो कि अंग्रेज़ी नाम है नाम नही बदला ,आगे बढिये #पीपीगंज जो कि अंग्रेज़ी नाम #पेप्पे पर है नाम नही बदला । ये तो मात्र 75 किमी का आंकङा है और उन लोगों का नाम है जिनके अत्याचार किसी से छुपे नही ।
अब आइये देखते हैं नाम किसका बदला जाता है #अकबर_दा_ग्रेट का जिसने छोटी छोटी विरासतों को जोङकर एक विशाल देश का निर्माण किया , नाम उसका बदला जाता है जो वर्षों पूर्व एक उस जगह #मुगलसराय का गठन करता है जो मुसाफिरों के रुकने के लिये उत्तम प्रबंध होता था नाम उस #उर्दु का बदलकर #हिन्दी बाजार किया जाता है जिस उर्दु से अदब का पता चलता है इसी 75 किमी मे #मायाबाजार जैसे ना जाने और कितने नाम बदले गये जो इस वक्त जहन मे आ नही रहे ।
ये सब कर, आखिर सरकारें धर्म विशेष के लोगों को क्या संदेश देना चाहती ? दो दिन पहले कही #वंदेमातरम पर चर्चा हो रही थी मै खामोश था क्योंकि मुझे लगा बहुसंख्यकों कि भावनाएँ #वन्देमातरम से जुङी है लेकिन आपका ये हावहल्ला हमारी भावनाओं को झकझोर रहा है हमारी पहचान को खत्म कर रहा है, अगर यही सब हमारे साथ करना था तो 1947 मे विश्वास दिलाकर हमे रोकना आपका सबसे बङा विश्वासघात था और अगर ऐसा नही है तो हमारा साथ दीजिए हम बहुत डरे हुये हैं हमारी और हमारे विरासतों कि हिफाजत करिये वरना आपका विश्वासघात खुदा भी माफ नही करेगा ।
------------------Arbaz Malik--------------

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