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Triple Talaq Par Supreem Court Ke Faisle Ka Hum Welcome Krte Hain

बधाई हो सुप्रीम कोर्ट।तीन तलाक़ के मामले पर तलाक़-ए-विद्दत के खिलाफ आपके फैसले से बेहद खुशी हुई। जो लोग डरे हुए थे की शायद आपका फैसला पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप करे लेकिन आप ने तलाके विद्दत रोक कर समाज की एक गंदगी साफ किया और पर्सनल लॉ पे आंच भी नहीं आने दी। सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले की हर मुसलमान को सराहना करनी चाहिए।  कोर्ट का ये फैसला कुरआन और हदीस की खिलाफवर्जी कतई नहीं है।
 हालाँकि मुसलमानों में तीन तलाक़ का प्रतिशत 1 से भी नीचे था।इसलिए मुस्लमान ये कह सकते हैं कि इससे ज़्यादा प्रतिशत  दहेज़ हत्या, बलात्कार, वेश्यावृति आदि का है, लेकिन आप शायद ये न संमझ सके हों की ट्रिपल तलाक़ देखने में जितना नुकसानदेह था, अंदरखाने में उससे सौ गुना  बुरा था।
दरअसल तलाके विद्दत की परंपरा से मुस्लिम महिलाओं में इस क़दर असुरक्षा व्याप्त थी की वह मर्द की नाजाएज़ हरकतों का भी विरोध नहीं करती थी। इस डर से की कहीं  उसका शौहर उसे तीन बार तलाक़ कह कर बेसहारा न कर दे। इस भावना से औरत दुसरे दर्जे की नागरिक बन गयी थी। आप् तीन तलाके न हो पाने से मर्द औरत को दबा नहीं पाएगा। इस्लाम दोनों को बराबरी का हक़ देता है।
तो आइये इस फैसले का तहे दिल से स्वागत करें और इस्लास्म के मुताबिक औरतों के हक़ को उन्हें खुले दिल से दे दें। और हाँ खुशियां मनाइये की आपकी बेटी, बहन  को कोई एक झटके में तीन तलाक़ कह कर उसकी ज़िन्दगी बर्बाद न कर सकेगा। विद्दत से बचें। शुक्रिया।

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