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सिद्धार्थ नगर: तबाही के लिए उफनतीं जमुआर नदी की बेताब लहरें, पर नींद में प्रशासन..!


सिद्धार्थ नगर (उत्तर प्रदेश): सिद्धार्थ नगर जिले में सैलाब ने अपने डैने खोल लिए हैं। नदियां निंरतर बढाव पर हैं। बाढ़ के लिए कुख्यात जिले की कूड़ा, घोंघी और बूढ़ी राप्तनी नदी खतरे के निशान को पार कर गई हैं। कई और नदियां निरंतर बढ़ाव पर हैं। कई तटबंधों की हालत खराब हैं। सिद्धार्थनगर- सोहांस मार्ग पर खतरा देखते हुए बंद कर दिया गया है। कई अन्य मार्गों पर पानी चल रहा है।

वहीं, सिद्धार्थ नगर 24 घण्टों से हो रहा लगातार भारी बारिश एवं नेपाल के पहाड़ों पर जोड़दार बारिश से नेपाल ने शनिवार को पानी छोड़ने के कारण नदियां खतरे के निशान से ऊपर है, बांसी से नौगढ जाने वाली हाइवे राज्य मार्ग पूर्ण रूप से बाधित है, लेकिन प्रशासन पूरी तरह मौन है

मिली जानकारी के अनुसार जिले की कूडा और घोंघी नदी खतरे के निशान से आधा मीटर ऊपर बह रही हैं।

इसकी वजह से सदर तहसील के लगभग तीन दर्जन गांव पानी से घिर गये हैं। घोंघी के बाढ़ से बड़हरा, परसौना, सहिला, उदयपुर आदि गांव खतरे की जद में हैं। दूसरी तरफ कूडा और बूढ़ी राप्ती की बाढ से उस्का बाजार इलाके के सिकहुला, हथिवड़ताल, ताल नटवा, ताल भिरौना, संगलदीप, ताल बगहियां आदि गांव पानी से बूरे तरह घिरे हुए है। 

करीमपुर के पास सडक पर बहता बाढ का पानी
बूढी राप्ती नदी और चरगहवां नदी से शोहरतगढ़ तहसील में तबाही शुरू हो चुकी है। बूड़ी राप्तनी ने अमहवा, नदवलियां, पिपरहवा, मझवन आदि गांवों को घेरना शुरु कर दिया है तो चरगहवां नदी ने बढनी ब्लाक में कोहराम मचा हुआ है। संनसरी गांव में पानी घुस गया है। वहां के स्कूल में भी पानी भर गया है। इसके अलावा आधा दर्जन गांव भी पानी से घिर रहे हैं।

इधर लगातार खतरनाक होती जा रही जमुआर नदी ने जिला मुख्यालय के करीब कहर मचा रखा है। सिद्धार्थनगर-सोहांस मार्ग पर चार फुट पानी चल रहा है। यह मार्ग आज सुबह प्रशासन ने बंद कर दिया है। जमुआर की बाढ़ से चिल्लेदर्रा ग्रांट, गुदराही, बनकसिहा और संकटागढ़, लोधपुरवा आदि गांव संकट में हैं। जमुआर की बाढ से करीमपुर-मोहाना मार्ग पर जानकी नगर के पास सड़क पर 3 फुट पानी चल रहा है। वहां आवागमन तकरीबन बंद होने के कगार पर है।

डे्नेज विभाग की सूचना अनुसार सामवार को भी नदियों का बढाव जारी है। जिले की सबसे बड़ी नदी राप्ती 2 सेंटीमीटर प्रत घंटा की राप्ती से बढ़ रहा है। इसके अलावा बानगंगा, घोरही, तेलार, जमुआर आदि नदियां तेजी से खतरे के निशान की तरफ बढ़ रही हैं। राप्ती के बढ़ाव से जिले की हात विंचताजनक हो गई है। प्रशासन तटबंधों के रखरखाव में जुड़ा हुआ है। तेलर नदी के दबवा से अगर कड़ा नदी के आलमनगर पर नदी का गुज और बढ़ा तो सौ और गांवों में तबाही फैल सकती है।

अशोगवा बांध की हालत नाजुक
मिश्रौलिया रिपोर्ट के मुताबिक बूढ़ी राप्ती पर बने अशोगवा-मदरहवा बांध की हालत काफा नाजुक हो गई है।इस बांध में रतनपुर के पास रेनकट से काफी गैप बन गया है। नदी का परनी बढ़ने से ग्रामीण दहशत में हैं। उनका कहना है कि अगर रेनकट भरा न गया तो बांध कभी भी टूट सकता है। इसी प्रकर तुसा-परसोहन बांध की हालत भी कमजोर बताई जा रही है।

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