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देश का दुर्भाग्य है, जनता 70 सालों से योगी जैसे नेताओं को पाल और बर्दाश्त कर रही है-अभिसार शर्मा

शर्म तुमको मगर आती नहीं। चलिए शर्म तो बहुत दूर की बात है, बीजेपी के तेवर में बला की दबंगई है। कुछ भी कर लो, कुछ भी कह लो। कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता। ये भाव हर तरफ दिखाई दे रहा है। और दिक्कत ये की जनता में इस बात को लेकर कोई आक्रोश नहीं। आग़ाज़ करते हैं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान से। गौर कीजिये क्या कहा था योगीजी ने,
“ मुझे लगता है के ऐसा न हो के लोग , जैसे ही उनके बच्चे 2 साल के हो जाएँ , सरकार के भरोसे छोड़ दें.”
उनके इस कथन के हकीकत में तब्दील होने की गुंजाइश उतनी ही है, जितना समूची भारतीय सियासत के संस्कारी और शरीफ हो जाने में है। यानी के जो हो नहीं सकता , उसकी बात भी क्यों की जाए ? मगर इससे आपकी नीयत का पता चलता है।
आपकी संवेदनाओं का पता चलता है। बच्चों के प्रति आपकी भावनाओं का पता चलता है। वह 290 लोग जिनके बच्चे मारे गए हैं न , उन्हें भी पता है के उनके बच्चे वापस नहीं आएंगे। ये चमत्कार नहीं होगा। मगर इन ग़मग़ीन लम्हों में, उन्हें सहानुभूति , मरहम की ज़रुरत है। कोई तो हो , जो उनके कंधे पर हाथ रखे और कहे , सब ठीक हो जाएगा। और आप क्या कहते हैं योगीजी? के कहीं दो साल बाद माता पिता अपने बच्चों को सरकार के हवाले न कर दें?
मैं आज ईश्वर के प्रार्थना करता हूँ के सद्बुद्धि न सही , आपको इस बयान की बेरहमी समझने की समझदारी वो आपको प्रदान करें। ये बयान ये साबित करता है के बीजेपी जवाबदेही में कतई विश्वास नहीं रखती , अलबत्ता सियासी विकल्प न होने के चलते , एक दबंगई का भाव आ गया है ।
मोहल्ले का वह आका जो किसी को ताना कस देता है , किसी का भी ठेला उखाड़ देता है, किसी को भी छेड़ देता है। क्योंकि कोतवाल बड़े भाई जो ठहरे। बड़े भाई ! याद है न ? क्योंकि सारा ज़ोर बड़े भाई के करिश्मे पर है। जनता को हिन्दू मसलमान के नाम पर दो फाड़ कर ही चुके हो , काम करो न करो, क्या फ़र्क़ पड़ता है।
हम सब जानते हैं के किसी भी त्रासदी की कुछ ज़मीनी हकीकत होती है. कुछ पहलु सरकार के काबू में भी नहीं होते। मगर उसे प्रस्तुत करने का एक तरीका होता है। बीजेपी वो शालीनता भूल गयी है जो ऐसे मौकों पर होनी चाहिए। और योगीजी ऐसी शालीनता का परिचय देने मे पूरी तरह नाकाम रहे हैं । क्योंकि अब तक… अब तक गोरखपुर की सियासी ज़िम्मेदारी तय नहीं की गयी है। अब तक नहीं। है न हैरत वाली बात ?
हाँ योगीजी , सरकार बच्चों को नहीं पालेगी। मगर ये देश का दुर्भाग्य है के वो 70 सालों से आप जैसे सियासतददानों को पाल भी रही है और बर्दाश्त भी कर रही है।
अब आइये हरयाणा की तरफ। अब तक साफ़ हो चूका है के बेशर्मी से सरकारी मंत्रियों की शह के चलते पंचकूला में ऐसे हालत पैदा हुआ। सरकार ने बलात्कारी बाबा के समर्थकों को एक रात पहले यकीन दिलाया के उन्हें कुछ नहीं किया जाएगा और जब वह वहां जमा हो गए , और हालात बिगड़ गए तो 36 भक्तों को गोली मार दी गयी।
हालात वहां तक पहुंचे कैसे ? क्यों मंत्री राम विलास शर्मा एक दिन पहले कह रहे थे के श्रद्धा पर धरा 144 थोड़े ही लगा सकते हैं। करोड़ों की सम्पत्ति का नुक्सान हुआ, मगर मौत किसकी हुई, मारा कौन गया ? वो अंध भक्त , जो एक बलात्कारी में अपनी अटूट श्रद्धा के चलते वहां पहुंचे थे। और आज , आज अमित शाह से मिलने के बाद क्या कहा मनोहर लाल खट्टर ने ? मैं इस्तीफ़ा नहीं दूंगा , जिसे मांगना है , वह मांगता रहे।
ऐसा क्या कहा खट्टर साहब को माननीय अमित शाह ने, के बाहर आकर ऐसे तेवर ? कोई सियासी शालीनता तक नहीं ? ऐसी हेकड़ी ? ऐसा घमंड ? किसलिए ? और क्या इस सियासी घमंड , इस हेकड़ी को अमित शाह और खुद प्रधानमंत्री की शह मिल रही है।
क्योंकि आपको याद होगा, बलात्कारी बाबा को सज़ा मिलने के बाद जो वाहियात बयान बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने दिया था , उसमे उनसे कोई जवाब तलब नहीं किया गया है। साक्षी महाराज ने बलात्कार पीड़ित उन साध्वियों और अदालत के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए थे
जिस दिन पंचकूला में हाहाकार मचा हुआ था , उस दिन सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से टीवी न्यूज़ चैनल्स पर अंकुश डालने का फरमान जारी हुआ। आप देख रहे हैं इस सरकार की प्राथमिकताएं ? हाल में रविशंकर प्रसाद से मैंने एक इंटरव्यू किया था। मैंने उनसे एक सवाल किया।
मैंने उनसे पुछा के ट्रिपल तलाक़ पर सरकार के रुख से क्या आपको उम्मीद है के मुसलमान औरतों का आपको समर्थन मिलेगा और क्या ये सियासी पैंतरा नहीं है ? जवाब हैरत में डाल देने वाला था। आवाज़ को और बुलंद करके , भौहें सिकोड़ के , कानून मंत्री ने कहा , हम देश के सत्तर फीसदी हिस्से पे राज कर रहे हैं। अब क्या abp न्यूज़ बताएगा के हम सियासत करेंगे और हमें बताया जाएगा के हमें कौन वोट देगा ? जवाब वाकई चौंकाने वाला था।
यानी के अध्यक्ष महोदय से लेकर पार्टी का हर छोटा बड़ा नेता और तमाम मुख्यमंत्री , सबको ऐसा आभास है के उन्हें सियासी अमरत्व या ऐसा अमर वरदान हासिल है , के उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। हम कुछ भी कहते रहेंगे , हम कुछ भी करेंगे और जवाबदेही नाम की कोई चीज़ नहीं है। बढ़िया है।
मगर एक छोटी सी बात याद रहे। …और गौर कीजियेगा
“तुम से पहले जो एक शक़्स यहाँ तख्तनशीन था,
उसे भी खुदा होने पे इतना ही यकीन था। आएगा,
आएगा तुम्हारा भी दिन आएगा
और वापसी या फिर नीचे जाने के सफर में आपसे मुलाक़ात होगी”

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