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Showing posts from July, 2017

बिजली की रौशनी को तरस रहा गाँव और विकास की बाट जोह रहे ग्रामवासी

बलरामपुर।  तुलसीपुर विधानसभा क्षेत्र ग्राम दुल्हिनडीह में सफेद हाथी की तरह खड़ा दो साल से बिजली का पोल बिजली के तारों से सजने के इन्तिज़ार में तो वहीं बीजेपी सरकार हर गाँव को बिजली देने का झूठा दावा कर रही है ।दुल्हिनडीह ग्रामवासियों को अपने गाँव में बिजली कब आएगी की बाट जोह रहे हैं तथा शिवानगर से छतईडीह दुल्हिनडीह पुरेबक्शपुर गाँव विकास से कोसों दूर है न तो सड़क है न ही बिजली है तो वहीं सफाईकर्मी के गाँव में न आने से प्रधानमंत्री की स्वक्षभारत मिशन योजना को मुंह चिढ़ाते सफाईकर्मी । ग्रामवासियों क्रमशः अब्दुल हलीम ऐनुल्ला मुनव्वर अनवारुल जव्वाद शौकत अली क्रामतुल्लाह आदि सहित सैंकड़ों ग्रामीणों ने बताया की हमारे गाँव में बिजली के खम्बे दो साल से खड़े हैं। पर अभी तक तार नही खींचा गया है जबकि हमारे बगल वाले गाँव शंकरपुर में बिजली उपलब्ध है महज़ बिजली के तारों के न खींचने के कारण हम ग्रामीण अँधेरे में रहने को मजबूर हैं ।गाँव में सड़कों की दशा बिलकुल ध्वस्त है कीचड़ युक्त सड़कों पर आने जाने को मजबूर हैं ग्रामवासी । माननीय सांसद और विधायक यदि चाहें तो हम ग्रामीणों को जल्द ही बिजली मिले पर जन...

शोहरतगढ़ में चला अतिक्रमण हटाओ अभियान, चहेतो का न हटा अतिक्रमण

शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत तहसील प्रशासन ने पुलिस प्रशासन के साथ नगर में मंगलवार को अस्थाई अतिक्रमण को हटवाया। इस दौरान अपने चहेतो का अतिक्रमण न हटाए जाने को लेकर नागरिकों में प्रशासन के खिलाफ आक्रोश देखने को मिला। अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत तहसीलदार मंजूर अहमद के साथ एसआई जुबेर अली, श्यामानुज, नगर पंचायत के बाबू जगदंबिका प्रसाद तिवारी, सूर्य नरायन मिश्र, सफाई नायक श्रीनिवास समेत नगर पंचायत के सफाई कर्मचारियों ने गड़ाकुल तिराहा से लेकर नगर पंचायत की आखिरी सीमा तक सड़क की पटरी पर दुकानदारों द्वारा किए गए अवैध कब्जे को हटवाया। सोनारी मोहल्ला में हिंदी दैनिक अखबार के वरिष्ठ पत्रकार के घर पर अधिकारियों की टीम पहुंच कर नाली के छाजन पर बने करीब एक फीट के नौं इंची बीम को कर्मियों से ध्वस्त करवाया। प्रशासन के इस कृत कार्य को लेकर मोहल्ले के लोगों ने विरोध करते हुए कहा कि नगर में बहुत से लोग अतिक्रमण किए हुए है। जिसको प्रशासन ने नहीं हटवाया। जबकि इससे जनता को भारी समस्या होती है। जबकि नाली के उपर बने छाजन पर स्थित बीम को प्रशासन ने नगर पंचायत के इशारे पर हटवाया है...

हमारे ग्राम सभा ग्राम गायघाट के दो बच्चों की पोखरे में डूबने से मौत हो गई

सिद्धार्थनगर। जिले के चिल्हिया थाना क्षेत्र के ग्राम गायघाट में दो बालकों को पोखरे में डूबने से मौत हो गई। दोनों मासूमों की उम्र सात और आठ साल की है। घटना कल यानी शुक्रवार देर शाम की है। इस हादसे से समूचे गांव में कोहराम मचा हुआ हुआ है। बताया जाता है कि गायघाट के मोहम्मद फारूक का आठ साल का बेटा रमजान अली अबू शहमा के सामसल के बेटे फैजान के साथ घर के पास बने तालाब पर खेल रहे थे। शाम सात बजे तक जब दोनों घर नही लौटे तो उनकी तलाशशुरू हुई। देरशाम को दोनों की लाशें पोखरे में तैरती पायी गईं। दोनों के पेट पानी से फूले हुये थे। इस हादसे की खबर से गांव में मातम छा गया। कुछ लोगों ने बताया की दोनों शाम को पोखरे पर बने बंधे पर बैठे खेल रहे थे। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि दोनों खेलते वक्त बंधे से गिर कर पाखरे में चले गये होंगे। फिलहाल दोनों की लाशों का पोस्टमार्टम आज हो रहा है। घटना से पूरे गांव में शोक का माहौल है।

नोटबंदी से गईं 15 लाख नौकरियां, 60 लाख लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट

नोटबंदी से गईं 15 लाख नौकरियां, 60 लाख लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट BY   द वायर स्टाफ   ON   20/07/2017 •  आपकी प्रतिक्रिया साझा करें: WhatsApp Print More निर्माण क्षेत्र के 73 प्रतिशत नौकरी देने वालों का कहना है कि वे अगले तीन महीने तक कोई भी नई नौकरी देने की स्थिति में नहीं हैं. फोटो: रॉयटर्स नरेंद्र मोदी सरकार भले ही देश में विकास का दावा करे, लेकिन नोटबंदी के बाद इस साल के शुरुआती चार महीनों में 15 लाख लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ीं. दूसरी तरफ,  फेडरेशन आॅफ इंडियन चेंबर्स आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री  (फिक्की) के सर्वे में कहा गया है कि नौकरी देने वाली 73 प्रतिशत कंपनियां अगले तीन महीने तक कोई भी नौकरी देने की हालत में नहीं हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी  (सीएमआईई) के कन्ज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे में कहा गया है कि मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के परिणामस्वरूप देश में 15 लाख लोगों की नौकरी चली गई. इस सर्वे में कहा गया है कि यदि एक नौकरी करने वाले पर चार लोग आश्रित हों तो इस हिसाब से करीब 60 ल...

अक्ल के अंधे

अपने हिंदुस्तानी भाईयों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर चीन को मूहतोड़ जवाब देते "अक़्ल के अंधे" गिरोह के सदस्य। https://t.co/d9MUrmMYgi

लड़कियों के लिए जरूरी पोस्ट जरूर पढ़े

जब हम टॉयलेट बाथरूम होटल के कमरे शॉपिंग मॉल के ट्रायल रूम या ऐसी अन्य जगह है जहां हम शीशे का इस्तेमाल करते है ऐसी जगहों पर बज़ाहिर ऐसा शीशा भी लगा हो सकता है जो देखने में आम शीशा हो लेकिन वह टू साइडर यानी दोनों तरफ से देखने वाला शीशा भी हो सकता है जिससे दूसरी तरफ बैठा आदमी या कैमरा आपकी वीडियो बना सकता है आपको देख सकता है डबल साइड वाला शीशा है या नही इस बात का यकीन आप महज देखकर नहीं कर सकते ऐसे बहुत से केस सामने आ चुके हैं जहां लड़कियों की वीडियो फोटो ले ली गई और बाद में उन्हें शर्मिंदगी उठानी पड़ी ब्लैकमेल होना पड़ा आप अपने आप को महफूज इस सादा टेस्ट से करें शीशे पर अपने नाखून की नोक रख कर देखिए अगर नाखून की नोक और अक्स  फोटो के दरमियान फासला  गैप है तो यह  नार्मल यानी आम सीसा है जो नॉर्मल यूज़ होता है अगर आपके नाखून और अक्स में गैप फासला नहीं है तो उस से बचिए यह एक टूसाइडर शीशा है और आपको दूसरी तरफ से देखा जा रहा है गैप नहीं है तो जगह छोड़ दीजिए आपको जब भी इसके बारे में यकीन ना हो तो नाखून वाला टेस्ट जरूर कीजिए बराह अकरम दूसरों की हिफाजत के लिए पोस्ट #शेयर कीजिए ...

मस्त रहो अपनी भक्ति की चरस में. अभिसार शर्मा

चोटिल हूँ, लिहाजा कुछ दिनों से लिख नहीं पा रहा हूँ। हाथ टूट गया है। बडी हिम्मत करके कुछ लिख रहा हूँ। खुद बेबस हूँ, और मेरा पेशा, यानि पत्रकारिता मुझसे भी ज़्यादा बेबस। मेरा तो सिर्फ हाथ टूटा है, मगर मौजूदा पत्रकारिता के हाथ पैर पीछे से या तो बांध दिये गये हैं या तोड़ दिये गये हैं या फिर कुछ ने तो अपनी कलम सौंप दी है। इसे Emotional अत्याचार ना समझें, मगर सोचें ज़रूर! मामला वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता के इस्तीफे का है। उन्होंने इस्तीफा इसलिये दिया या दिलवाया गया क्योंकि उनकी पत्रिका Economic & Political Weekly के board of directors ने, जो पत्रिका का ट्रस्ट चलाते हैं, उन्हे ये आदेश दिया कि Adani business समूह के बारे में लिखे गये दो लेखों को हटाये। Adani गुट पहले ही मानहानी का मुकदमा ठोंकने का नोटिस भेज चुका था। अगर लेख इतने कमजोर थे, तो क्या उन्हें छापने से पहले हकीकत की कसौटी पर परखा नहीं गया था? और अगर विश्वास था तो किस बात का डर? दरअसल, डर सिर्फ मानहानी का नहीं, बल्कि प्रक्रिया का है। फैसला तो जब आयेगा तब आयेगा। मगर उससे पहले महंगी न्यायिक प्रक्रिया से कौन गुजरे। अब प्रक्रिया...

एक बेहतरीन कहानी जरूर पढ़े

दुनिया की बेहतरीन कहानी अच्छी लगे तो जरूर शेयर करें शहर में एक हकीमं जी  हुआ करते थे, जिनका मकान  एक पुरानी सी इमारत में था। हकीमं जी रोज  सुबह दुकान जाने से पहले बीवी  को कहते कि जो कुछ आज के दिन के लिए तुम्हें ज़रूरत  है एक चिठ्ठी में लिख कर दे। बीवी  लिखकर दे देती । आप दुकान पर आकर पहले वह चिठ्ठी खोलते। बीवी  ने जो बातें लिखी होती। उनके भाव देखते , फिर उनका हिसाब करते। फिर अल्लाह  से दुआ  करते कि हे अल्लाह  ! मैं केवल तेरे ही हुक्म के अनुसार में तेरी बंदगी  छोड़कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। ज्योंही तू मेरी आज की जरूरी पैसो की व्यवस्था कर देगा।उसी समय यहां से उठ जाऊँगा और फिर यही होता। कभी सुबह साढ़े नौ, कभी दस बजे हकीमं जी रोगियों की समाप्ति कर वापस अपने घर चले जाते। एक दिन हकीमं जी ने दुकान खोली। रकम का  हिसाब के लिए चिठ्ठी खोली तो वह चिठ्ठी को देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आंखों के सामने तारे चमकते हुए नजर आ गए लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने तंत्रिकाओं पर काबू पा लिया। आटे दाल चावल ...

शादी शुदा लोग जरूर पढ़े आनन्द आएगा

शादी शुदा लोग जरूर पढ़े आनन्द आएगा कॉलेज में Happy married life पर एक workshop हो रही थी, जिसमे कुछ शादीशुदा जोडे हिस्सा ले रहे थे। जिस समय प्रोफेसर मंच पर आए उन्होने नोट किया कि सभी पति- पत्नी शादी पर जोक कर हँस रहे थे... ये देख कर प्रोफेसर ने कहा कि चलो पहले एक Game खेलते है... उसके बाद अपने विषय पर बातें करेंगे। सभी खुश हो गए और कहा कोनसा Game ? प्रोफ़ेसर ने एक married लड़की को खड़ा किया और कहा कि तुम ब्लेक बोर्ड पे ऐसे 25- 30 लोगों के नाम लिखो जो तुम्हे सबसे अधिक प्यारे हों लड़की ने पहले तो अपने परिवार के लोगो के नाम लिखे फिर अपने सगे सम्बन्धी, दोस्तों,पडोसी और सहकर्मियों के नाम लिख दिए... अब प्रोफ़ेसर ने उसमे से कोई भी कम पसंद वाले 5 नाम मिटाने को कहा... लड़की ने अपने सह कर्मियों के नाम मिटा दिए.. प्रोफ़ेसर ने और 5 नाम मिटाने को कहा... लड़की ने थोडा सोच कर अपने पड़ोसियो के नाम मिटा दिए... अब प्रोफ़ेसर ने और 10 नाम मिटाने को कहा... लड़की ने अपने सगे सम्बन्धी और दोस्तों के नाम मिटा दिए... अब बोर्ड पर सिर्फ 4 नाम बचे थे जो उसके मम्मी- पापा, पति...

यूपी चुनाव खत्म होते ही ट्रिप्पल तलाक को तलाक मिल गया है

यूपी चुनाव ख़त्म होते ही ट्रिप्पल तलाक़ को तलाक़ मिल गया है । अब वो मुस्लिम महिलाएं भी गायब हो गयी जिन्हे इससे छुटकारा चाहिए था, उनके शराबी पतियों ने शायद चुनाव ख़त्म होते ही या तो शराब छोड़ दी या पीकर तलाक़ कहना छोड़ दिया, वो तारेक फ़तेह साहब भी गायब हो गए हैं जो गजबा-ए-हिन्द से हम हिन्दुओ को सात समंदर पार से बचाने आये थे, या तो महमूद गज़नी मर गया या पृथ्वीराज चौहान ने गौरी से युद्ध जीत लिया, जो भी हो अब लग रहा है की हम बच गए हैं । . बिरयानी की महक भी गायब हो चुकी है मिटटी के चूल्हों से, दोयम दर्ज़े के चावल वापस थाली में दिख रहे हैं कंकरों के साथ। और तो और अब तो शायद कोर्ट को भी कोई जल्दी नहीं है ट्रिपल तलाक़ को ख़त्म करने की, किसी वैज्ञानिक ने शायद उन्हें इसके फायदे गिनवा दिए हैं केमिस्ट्री की लैब में बिठाकर, इसीलिए कन्विंस्ड से बैठे हैं हाथ पे हाथ रखे। . ज़िन्दगी सही में बहुत ही बोरिंग हो गयी है। अब तो ऐसा लगता है जैसे 24 घंटे सेट मैक्स पे सूर्यवंशम का रिपीट टेलीकास्ट देखता रहता हूँ। हीरा ठाकुर के साथ क्या होने वाला है सब पता है, लेकिन चैनल चेंज करने का मन ही नहीं करता है। क्यूंकि ...

लापरवाह सी एम ओ लाचार सी एम एस भुगत रही जनता

लापरवाह सी एम ओ लाचार सी एम एस भुगत रही जनता ।  रोगियो के सहायता के लिये रोगी  सहायता केन्द्र की लगभग हर जनपदो मे स्थापना की गयी है जिला चिकित्सालय सिद्धार्थ नगर के आकस्मिक वार्ड मे भी  कार्यालय खुला है जहाँ तक मेरी जानकारी है यह 24 घन्टे की सेवा है परन्तु दो शिप्ट की बात ही छोड दे दिन के 08 बजे से 02 बजे तक मे भी अममून बन्द ही रहता है जिसका खामियाजा अमूमन जरुरत मंदो को उठाना पडता है । चूँकि इनका मानदेय सी एम ओ कार्यालय से वितरित होता ऐसे मे सी एम ओ को चाहिये कभी कभार इनकी उपस्थित एवं कार्यप्रणाली की जाँच करते रहे परन्तु संबन्धित की लापरवाही के कारण यह संभव नही हो पाता तो यह सी एम एस कार्यक्षेत्र मे अपना योगदान करते है किन्तू सि एम एस महोदया की लाचारी इनसे पूर्ण योगदान ले नही पाती । इन दोनों लोगो के लाचारी और लापरवाही का खामियाजा जरुरतमंद रोगियो को उठाना पड़ता है ।

संघियों के दिमाग में गन्दागी के सिवा कुछ नही

संघियों ने पहले शोर मचाया कि बस का ड्राइवर सलीम शेख नहीं बल्कि हर्ष देसाई है। जब हर्ष देसाई ने खुद बयान दे दिया कि ड्राइवर सलीम ही था तब संघियों ने कहा कि हो सकता है वो खुद आतंकियों से मिला हो। दिमाग में गन्‍दगी रखते रखते हिटलर के इन हाफपैण्टिया अनुयायियों की अक्‍ल में कीड़े पड़ गये हैं। अगर इनकी बतायी थ्‍योरी पर यकीन भी करें तो सवाल ये उठता है कि फिर उसने सात ही लोगों को क्‍यों मरने दिया जबकि वो तो बस रोककर सबको मरवा सकता था। दूसरा और मुख्‍य सवाल ये है कि बस ड्राइवर सिर्फ बस चलाता है उसका रूट तय करने का काम टूर ऑपरेटर करता है और इस केस में टूर ऑपरेटर हर्ष देसाई है जो खुद भी घायल हुआ है। लेकिन इन सब तथ्‍यों से क्‍या फर्क पड़ता है। हिटलर-गोयबल्‍स की इन औलादों को तो साम्‍प्रदायिक गन्‍द मचानी है और वो ये कैसे भी मचा सकते हैं।
Satya Narayan लिखते हैं संघियों ने पहले शोर मचाया कि बस का ड्राइवर सलीम शेख नहीं बल्कि हर्ष देसाई है। जब हर्ष देसाई ने खुद बयान दे दिया कि ड्राइवर सलीम ही था तब संघियों ने कहा कि हो सकता है वो खुद आतंकियों से मिला हो। दिमाग में गन्‍दगी रखते रखते हिटलर के इन हाफपैण्टिया अनुयायियों की अक्‍ल में कीड़े पड़ गये हैं। अगर इनकी बतायी थ्‍योरी पर यकीन भी करें तो सवाल ये उठता है कि फिर उसने सात ही लोगों को क्‍यों मरने दिया जबकि वो तो बस रोककर सबको मरवा सकता था। दूसरा और मुख्‍य सवाल ये है कि बस ड्राइवर सिर्फ बस चलाता है उसका रूट तय करने का काम टूर ऑपरेटर करता है और इस केस में टूर ऑपरेटर हर्ष देसाई है जो खुद भी घायल हुआ है। लेकिन इन सब तथ्‍यों से क्‍या फर्क पड़ता है। हिटलर-गोयबल्‍स की इन औलादों को तो साम्‍प्रदायिक गन्‍द मचानी है और वो ये कैसे भी मचा सकते हैं।

शर्मनाक नही बेहद गलीज हरकत है

शर्मनाक नहीं बेहद गलीज़ हरकत है। इन शैतानों ने अमरनाथ में किसी हिन्दू को नहीं मारा वरन भारत के 25 करोड़ मुसलमानों की साख का क़त्ल किया है। अमरनाथ जैसी पवित्र धार्मिक यात्रा में शामिल आस्थावानों  की जान लेकर उन्होंने भारतीय मुसलमानों का सर झुकाया है, उनकी वतनपरस्ती पर सवालिया निशान लगाया है। कल जब उन बेकसूरों की चिंताएं जलेंगी तो मुल्क का भाई चारा जलेगा, साझी तहज़ीब जलेगी, साथ ही देशवासियों की नज़रों में मूसलमानो का भरोसा भी जलेगा। कश्मीर की इस घटना की निंदा के लिए शब्द नहीं हैं। उनकी निंदा के लिए कठोरतम शब्द बनना अभी बाकी है। अब एक अपील पीएम साहब से। इन आतंकवादियों ने ज़ुल्म की हदें तोड़ डाली हैं। अब कूटनीति और बातचीत के रास्ते बंद कीजिये। बेगुनाह न मरें, इसकी पॉलिसी बनाकर इन आतंकियों के लिए कैच एण्ड शूट की नीति अमल में लाइए। क्योंकी इन छुट्टे सांडों के खुला घूमने से सबसे ज्यादा शर्म देश के मुस्लमानों को आ रही है। #Nazeer_Malik_Sir

अमरनाथ अातंकी हमला

आतंकी हमले की विपक्ष निंदा करता है तो समझ आता है क्योंकि वो सिर्फ वही कर सकता है लेकिन अगर सरकार भी निंदा करके काम चलाएगी तो कैसे चलेगा?