संघियों ने पहले शोर मचाया कि बस का ड्राइवर सलीम शेख नहीं बल्कि हर्ष देसाई है। जब हर्ष देसाई ने खुद बयान दे दिया कि ड्राइवर सलीम ही था तब संघियों ने कहा कि हो सकता है वो खुद आतंकियों से मिला हो। दिमाग में गन्दगी रखते रखते हिटलर के इन हाफपैण्टिया अनुयायियों की अक्ल में कीड़े पड़ गये हैं। अगर इनकी बतायी थ्योरी पर यकीन भी करें तो सवाल ये उठता है कि फिर उसने सात ही लोगों को क्यों मरने दिया जबकि वो तो बस रोककर सबको मरवा सकता था। दूसरा और मुख्य सवाल ये है कि बस ड्राइवर सिर्फ बस चलाता है उसका रूट तय करने का काम टूर ऑपरेटर करता है और इस केस में टूर ऑपरेटर हर्ष देसाई है जो खुद भी घायल हुआ है। लेकिन इन सब तथ्यों से क्या फर्क पड़ता है। हिटलर-गोयबल्स की इन औलादों को तो साम्प्रदायिक गन्द मचानी है और वो ये कैसे भी मचा सकते हैं।
संघियों ने पहले शोर मचाया कि बस का ड्राइवर सलीम शेख नहीं बल्कि हर्ष देसाई है। जब हर्ष देसाई ने खुद बयान दे दिया कि ड्राइवर सलीम ही था तब संघियों ने कहा कि हो सकता है वो खुद आतंकियों से मिला हो। दिमाग में गन्दगी रखते रखते हिटलर के इन हाफपैण्टिया अनुयायियों की अक्ल में कीड़े पड़ गये हैं। अगर इनकी बतायी थ्योरी पर यकीन भी करें तो सवाल ये उठता है कि फिर उसने सात ही लोगों को क्यों मरने दिया जबकि वो तो बस रोककर सबको मरवा सकता था। दूसरा और मुख्य सवाल ये है कि बस ड्राइवर सिर्फ बस चलाता है उसका रूट तय करने का काम टूर ऑपरेटर करता है और इस केस में टूर ऑपरेटर हर्ष देसाई है जो खुद भी घायल हुआ है। लेकिन इन सब तथ्यों से क्या फर्क पड़ता है। हिटलर-गोयबल्स की इन औलादों को तो साम्प्रदायिक गन्द मचानी है और वो ये कैसे भी मचा सकते हैं।
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