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म्यांमार जनसंहारः बोले दलाई लामा ‘म्यंमार के बुद्धिस्ट भी आतंकी हो गए हैं’

बोधगया स्थित कालचक्र मैदान में दलील लामा ने काल चक्र पूजा की इस दैरान उन्होंने प्रवचन देते हुए कहा कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता है.आतंकी कभी भी धार्मिक नहीं हो सकते.उन्होंने अफ़सोस जताते हुए कहा कि यह बड़े दुःख की बात है कि आज बुद्धिष्ट आतंकवादी भी देखे जा रहे हैं.
बुद्धिष्ट भी बन रहे हैं आतंकवादी…
दलाई लामा ने अमेरिका में छपी ख़बरों का हवाला देते हुए कहा कि म्यांमार में बौद्ध भी आतंकी बन गए हैं.यह पूरी तरह ग़लत है, और यह मानवता और धर्म के खिलाफ है.उन्होंने कहा कि सभी देश आपस में प्रेम करने का सन्देश देते हैं. उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि आपका बुद्धि मत दूसरों की भलाई में लगानी चाहिए न कि लोगों को नुकसान पहुंचाने और बेवक़ूफ़ बनाने में. उन्होंने आगे कहा कि आपका आचरण ही तय करेगा कि भविष्य में आपके साथ कैसा होगा?. मानव जीवन प्राप्त होने के पीछे भी आपके कर्म होते हैं.

बर्मा में हो रहे मुस्लिमों के नरसंहार पर दुनिया कई देश बर्मा के खिला हो चुके है जिनमे टर्की और ईरान मुख्य हैं. रोहिंगया मुसलमानों के क़तल-ए-आम पर युनाईटेड नेशन की चुप्पी चिंताजनक है. बर्मा में रोहिंगया मुसलमानों के हालात को देखते हुए ईरानी सदर हसन रूहानी और तुर्की के सदर तैयब अर्दगान ने ज्वाईॉट स्टेटमेंट मे कहा है की अगर यूएन बर्मा मे मुसलमानो के कत्लआम को लेकर खामोश रहेगा तो वह सारे बार्डर क्रास कर देंगे और हमारी आर्मी तैयार है बर्मा पर मिलिट्री कार्यवाही के लिये, हम अपने लोगो को मरते नही देख सकते!
जोको विदोदो ने रविवार को म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे हमलों की कड़ी आलोचना करते हुए अपने विदेश मंत्री रेंटो मारसूदी को इन हमलों को रुकवाने के लिए म्यांमार की सरकार से बात चीत करने, यांगून भेजा है। उन्होंने म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों तक मानवताप्रेमी सहायताएं पहुंचाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

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गाँव का जीवन और रहन सहन

भारत गाँवों का देश है । हमारे देश की साठ-सत्तर प्रतिशत जनसंख्या अब भी गाँवों में ही रहती है । गाँव का जीवन शहरी जीवन से अलग होता है । यहाँ की आबोहवा में जीना सचमुच आनंददायी होता है । गाँवों में भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं । यहाँ भारत की सदियों से चली आ रही परंपराएँ आज भी विद्‌यमान हैं । यहाँ के लोगों में अपनापन और सामाजिक घनिष्ठता पाई जाती है । यहाँ खुली धूप और हवा का आनंद उठाया जा सकता है । यहाँ हरियाली और शांति होती है । हमारे गाँव भारत की कृषि व्यवस्था के आधार हैं । यहाँ कृषकों का निवास होता है । गाँव के चारों ओर खेत फैले होते हैं । खेतों में अनाज एवं सब्जियों उगाई जाती हैं । गाँवों में तालाब और नहरें होती हैं । इनमें संग्रहित जल से किसान फसलों की सिंचाई करते है । गाँवों में खलिहान होते हैं । यहाँ पकी फसलों को तैयार किया जाता है । गाँवों में खेती क अलावा पशुपालन, मुर्गीपालन, मधुमक्खी पालन जैसे व्यवसाय किए जाते हैं । पशुपालन से किसानों को अतिरिक्त आमदनी होती है तथा कृषि कार्य में सहायता मिलती है । पशुओं का गोबर खाद का काम करता है । पशु दूध देते हैं तथा बैल, भैंसा आ...

सिद्धार्थनगर का परिचय

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