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पत्रकार शांतुन की हत्या में संदिग्ध IPFT को बीजेपी ने दिए थे 2 लाख !

त्रिपुरा में टीवी पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या से पत्रकारों में गहरा आक्रोश है। बड़ा सवाल ये है कि यह हत्या किसने की। कहा जा रहा है कि हत्या इंडिजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा यानी IPFT समर्थकों ने की है। इस संगठ के चार लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। संगठन का बीजेपी से क़रीबी रिश्ता रहा है।
इस रिश्ते  के सबूत के तौर पर बीजेपी के प्रदेश कोषाध्यक्ष सुजीत कुमार बनर्जी की एक चिट्ठी पेश की जा रही है। 3 अक्टूबर 2016 को लिखी गई यह चिट्ठी बताती है कि IPFT को उपचुनाव के लिए बीजेपी ने दो लाख रुपये दिए थे। यह पैसा 21 अगस्त 2016 को दिया गया।
बीजेपी के पैड पर सुजीत बनर्जी ने हाथ से लिखा है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर वे 21 अगस्त की सुबह  साढ़े सात से आठ के बीच पार्टी की प्रदेश महासचिव प्रतिमा बनर्जी के साथ IPFT के प्रदेश अध्यक्ष एन.सी.देबबर्मा के घर गए और उन्हें दो लाख रुपये सौंपे।
यह चिट्ठी बताती है कि बीजेपी किस तरह इस संगठन की मदद करती रही है। त्रिपुरा पर काफ़ी समय से वाममोर्चे का शासन है और मुख्यमंत्री माणिक सरकार शांति स्थापित करने में काफ़ी हद तक क़ामयाब हुए हैं। राज्य में जड़ जमाने की कोशिश में जुटी बीजेपी वहाँ IPFT जैसे संगठनों का सहयोग ले रही है।
बहरहाल, इस तक़लीफ़देह घटना की जल्द से जल्द जाँच हो और हत्यारों को सजा मिले, इसकी माँग देश भर में पत्रकार कर रहे हैं। कल यानी शुक्रवार को शाम 4 बजे प्रेस क्लब, दिल्ली में एक विरोध सभा भी आयोजित की गई है।
पढ़िए, युवा पत्रकार दिलिप खान की ओर से फ़ेसबुक पर लिखी गई एक पोस्ट जो इस घटना के तमाम पहलुओं की जानकारी देती है।
दिनरात चैनल के पत्रकार शांतनु भौमिक की त्रिपुरा में हत्या में किसका हाथ?
▶IPFT पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहा था। कल CPM के संगठन TRUGP और IPFT में झड़प हो गई। शांतनु भौमिक वही कवर कर रहे थे।
▶IPFT के समर्थकों ने शांतनु पर हमला किया। फिर अपहरण कर लिया। पुलिस को जब घायल अवस्था में शांतनु मिले तो उन्हें अगरतल्ला के अस्पताल लाया गया। डॉक्टर ने मृत घोषित किया।
▶IPFT ने बीते कई दिनों से अनिश्चितकालीन बंद कर रखा है। 19 सितंबर को बड़ी हिंसा हुई थी। कई जगहों पर धारा 144 लागू है।
▶IPFT यानी Indigenous Peoples Front of Tripura वर्षों से NDA की समर्थक रही है। बीच में इस पार्टी का INPT में विलय हो गया था। 2009 में फिर से पार्टी अलग हो गई।
▶IPFT के यूथ प्रेसिडेंट पबित्र जामतिया कई और नेताओं के साथ जून में बीजेपी में शामिल हो गए। IPFT और बीजेपी के बीच स्वागत-स्वागत का खेल तब से जारी है।
▶IPFT के अध्यक्ष एन सी देबबर्मा जुलाई में दिल्ली आए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत बीजेपी के कई नेताओं से मिले।
▶यहां से जाते ही अलग राज्य का आंदोलन शुरू कर दिया। बीजेपी IPFT के फुल सपोर्ट में है।
▶इसके बाद शांतनु की हत्या हो गई और बीजेपी ट्विटर पर राज्य सरकार से क़ानून-व्यवस्था बहाल करने की मांग कर रही है।
जहां-जहां इनके कदम पड़े, वहां-वहां ऐसे ही हालात बने।

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