बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में छेड़छाड़ के ख़िलाफ़ कैंपस के सिंहद्वार पर बैठी छात्राओं का प्रदर्शन अब थम गया है.
पुलिसिया लाठीचार्ज और यूनिवर्सिटी में दशहरे की छुट्टियों के बाद छात्राएं अलग-थलग हो गई हैं.
लेकिन कुछ छात्राएं अब भी यूनिवर्सिटी कैंपस में हैं. बीबीसी हिंदी के लिए समीरात्मज मिश्र ने फेसबुक लाइव में ऐसी ही कई छात्राओं से बात की.
इन छात्राओं ने छेड़छाड़ की घटनाओं से लेकर विरोध प्रदर्शन खत्म होने और यूनिवर्सिटी के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी के उचित कदम न उठाने की कहानी बयां की.
आगे पढ़िए बीएचयू छात्राओं की कहानी, उन्हीं की ज़ुबानी
छेड़छाड़ करने वाले कौन?
- हम सेंट्रल यूनिवर्सिटी बीएचयू में पढ़ रहे हैं. यहां महिलाओं के लिए बिलकुल सुरक्षा नहीं हैं.
- जब कभी भी हम रोड से आते-जाते हैं तो बाइकर्स अचानक आते हैं और छेड़छाड़ करके चले जाते हैं.
- शाम को या किसी भी वक्त वो लड़कियों को छेड़ते हैं. हम बस इतना चाहते हैं कि ऐसी सिक्योरिटी हो कि छेड़छाड़ न हो क्योंकि स्ट्रीट लाइट नहीं रहती है तो हम पहचान ही नहीं पाते कि छेड़छाड़ करने वाले कौन हैं.
'शाम हुई अंदर रहो'
- रात आठ से लेकर सुबह छह बजे तक हमें बाहर निकलने की कोई इजाज़त नहीं है.
- रात आठ बजे तक हमें होस्टल में एंट्री लेनी ही होती है. हमारी सात बजे तक तो क्लास होती है.
- आठ बजे की बात तो छोड़ ही दीजिए. ये लोग तो कहते हैं कि 'छह बजे के बाद हम कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेंगे. आप छह बजे के बाद बाहर कर क्या रही हैं.'
- ये कहते हैं कि 'तुम छह बजे के बाद बाहर ही क्यों गई. ये तुम्हारी ग़लती है. ये टाइम है ही नहीं घूमने का'.
सिक्योरिटी का क्या हाल?
- यहां एक भी महिला सुरक्षाकर्मी नहीं है. यहां जो सिक्योरिटी गार्ड हैं, उनसे शिकायत करो तो वो कुछ करते ही नहीं हैं. कई बार तो पिट भी जाते हैं. ऐसा लगता है कि बिना पावर के बैठा दिए गए हैं.
- एक बार तो ये हुआ कि लंकागेट से एक लड़के ने होस्टल तक मेरा पीछा किया. उसने होस्टल गेट से एंट्री ली. गार्ड से पानी लेकर पिया और चला गया. मतलब मैं समझ ही नहीं पाई कि ये हो क्या रहा है. मतलब आप उसे बैठाकर खाना खिला दीजिए.
लाठीचार्ज वाली रात के बाद क्या हुआ?
- शनिवार की रात हम पर लाठीचार्ज हुआ तो हम लोग अंदर आए. इसके बाद अगले दिन हम पर दबाव डाला गया कि निकल जाइए, वरना सुरक्षा की ज़िम्मेदारी आपकी होगी.
- ये हमसे किसने कहा, ये तो हम नहीं बताएंगे क्योंकि हमारी जो भी प्रोफ़ेसर हैं, वो सब साथ हैं.
- इसको लेकर कोई आदेश तो नहीं आया, लेकिन बाहर के होस्टल में तो नोटिस लगाया गया और खाली भी कराया गया. होस्टल खाली करने को लेकर कोई दबाव नहीं डाला गया.
- लेकिन कहा गया कि कुलपति की तरफ़ से आदेश आया था. कहा ये भी गया कि जिसको रहना है रहे, सिक्योरिटी की व्यवस्था की जाएगी.
- जब लाठीचार्ज हुआ तो हमें ये उम्मीद नहीं थी कि पुरुष पुलिसवाले गेट के अंदर तक आ जाएंगे. हम तो यहीं खड़े हुए थे.
- एक पुरुष पुलिसवाला एक लड़की को मार रहा है. इसे आप कहां तक जायज़ ठहराएंगे? एक भी महिला पुलिसवाली नहीं थी.
लड़ाई के बाद मिला वाईफ़ाई
- अफ़वाह तो ये भी फैली कि बत्ती कट जाएगी और पानी की सप्लाई रुक जाएगी. लेकिन हां, इंटरनेट तो बंद कर दिया गया था.
- हमारी बीएचयू बज़ की जो वेबसाइट थी, उसे ब्लॉक कर दिया गया. लाठीचार्ज समेत कई सारे वीडियोज़ ब्लॉक कर दिए गए.
- कैंपस में कुछ वक्त पहले ही वाईफ़ाई लगा है. वाईफ़ाई के लिए भी हमने अभियान चलाया था. तब हमें ये सुविधा मिली.
कुलपति मिले या नहीं?
- चार या पांच छात्राएं कुलपति से मिलने गई थीं क्योंकि कहा गया कि वो नहीं आएंगे मिलने. तो जो लड़कियां मिलने गई थीं उन्होंने कहा कि आप बाहर आकर सब छात्राओं से मिलिए, क्योंकि ये एक लड़की की दिक्कत नहीं है, ये सबके साथ हो रहा है. हमारी कुछ नॉर्थ ईस्ट की दोस्त हैं, वो तो बाहर रूम लेकर रह रही हैं.
- वीसी हमसे नहीं, मीडिया और चैनलों से बात कर रहे हैं. जहां असलियत में बात करनी चाहिए, वहां वो बात ही नहीं कर रहे हैं.
- पता नहीं क्या बात कर रहे हैं. बस झूठ बोल रहे हैं. वीसी कहते हैं कि वो हमारे गाडिर्यन हैं. अब जब बच्चों को दिक्कत हो रही है और वो हमारे गार्डियन हैं तो आकर हमारी परेशानी दूर करें.
- वीसी ने जवाब दिया तो है लेकिन लाठीचार्ज करवाकर.
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