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सारे पत्रकारों को डरा दो जो न डरे उसे मार दो ताकि सरकारें ‘झूठ’ बोले या ‘जुमले’ कोई सवाल न करे !

पत्रकार गौरी लंकेश की मौत के बाद देश में पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल खड़े होने लगे हैँ। क्या सवाल करने पर जान से मार दिया जाएगा ? या फिर सवाल करने पर परिवार को लेकर डराया धमकाया जाएगा ?

कन्नड़ भाषा की पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद तमाम पत्रकारों ने अपनी और परिवार की सुरक्षा की बात की।
दिल्ली के प्रेस क्लब से लेकर देशभर में विरोध करने एकजुट हुए पत्रकारों ने सवाल करने पर सरकार और कट्टरवादी संगठनों से सुरक्षा की बात रखी।
सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाया। उन्होंने लिखा कि, देश के सारे पत्रकारों को डराओ जो न डरे उसे मार दो। क्योंकि सरकार फिर खूब झूठ बोले जनता को कोई बताने वाला न हो।
सरकार से कोई सवाल करने वाला न हो। सरकार सच बोले या जुमले किसी को कोई फर्क ही न पड़े।
जनता अँधेरे में रहे औऱ पांच साल बाद धर्म और नफरत के नाम पर वोट कर दे। सरकार बने फिर पांच साल जनता मरे।
समाज में कोई सवाल करने वाला न रहे। सवाल मानो राष्ट्रीय अपराध घोषित कर दिया जाए।
आखिरकार यही सवाल कल एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार ने किया था। उन्होंने कहा कल से जिंदा लाश की तरह घूम रहा हूँ। शुभचिंतक बोल रहे हैं बोलना बंद कर दो लिखना बंद कर दो। नहीं तो एक दिन तुम भी मार दिए जाओगे !
इसी तरह एबीपी न्यूज के पत्रकार अभिसार शर्मा ने अपनी बात रखी उन्होंने कहा कि, परिवार वाले कहते हैं सवाल करना बंद कर दो। अपनी और अपने बच्चों की चिंता करो।
आपको बता दें कि, लोकतंत्र के चौथे स्तंम्भ बने पत्रकारिता पर सुरक्षा का सवाल है क्योंकि पक्ष औऱ विपक्ष के पत्रकार पैदा हो गए हैँ। पत्रकारिता हमेशा विपक्ष की होती है लेकिन चाटुकारिता औऱ पत्रकारिता अब एक सी दिखाई देती है। जो काफी तेजी से रोग की तरह फैल रही है।


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